Friday, March 12, 2010

आज टीवी में आग लगा दूंगा !

...एक चैनल के क्राइम रिपोर्टर्स को स्कूप ढूंढने के लिए इतनी डांट पड़ी कि उन्होंने गुस्से में आकर बाबा के आश्रम को तहस नहस कर डाला। उन रिपोर्टर्स की शह पर स्थानीय लोगों ने बाबा के कमरे का दरवाजा तक तोड़ डाला। एक चैनल का रिपोर्टर तो इतना अधिक 'उत्तेजित' था कि बाबा की एक डायरी को ही अपने ऑफिस तक उठा लाया। उसका मानना था कि वो अपने चैनल पर बाबा की डायरी दिखाकर टीवी में 'आग' लगा डालेगा...


दिल्ली पुलिस ने एक अय्याश बाबा को क्या पकड़ा, रिपोर्टर्स के लिए चांदी ही चांदी। आरूषि-हेमराज हत्याकांड के बाद बाबा भीमानंद ही ऐसे हैं जिनकी कवरेज लगातार 10 दिनों से सबसे ज्यादा न्यूज चैनल्स में दिखाई जा रही है। काफी दिनों बाद यही एक केस आया है जिसमें एक बार फिर रिपोर्टर्स को शैरलक होम्स और जेम्सबांड बनकर अपनी प्रेडिक्शन करने (तुक्का मारने) का मौका मिला है। अब सेक्स रैकेट चलाने वाले बाबा राजीव रंजन द्विवेदी उर्फ शिवानंद उर्फ शिवा द्विवेदी उर्फ भीमानंद के बारे में रिपोर्टर्स ने खुलासे तो कर डाले लेकिन अब बाबा के सीसीटीवी कैमरे से कुछ रिपोर्टर्स को डर लग रहा है... क्यों ? तो बस आगे पढ़ते रहिए...
जिस दिन ढोंगी बाबा दिल्ली में गिरफ्तार हुआ उस दिन बजट का दिन था (26 फरवरी 2010)। लिहाजा अमूमन सभी चैनल्स बजट स्पेशल में जुटे हुए थे। एक ‘धार्मिक बाबा’ के गिरफ्तार होने की खबर को किसी ने खास तवज्जो नहीं दी। कुछ को पता नहीं चला और कुछ क्राइम रिपोर्टस को इस खबर को कवर करने के लिए कैमरा यूनिट तक नहीं मिली (सभी कैमरा यूनिट बजट कवरेज में जो झोंक रखी थी)। लेकिन शाम के 7 बजे के बुलेटिन में जैसे ही एक न्यूज चैनल ने बाबा की रहस्यमयी गुफा या यूं कहें बाबा के छिपने या फिर भागने के ठिकाने की एक्सक्लूसिव कवरेज दिखाई, तो मानों बाकी चैनल्स में हड़कंप मच गया।
उस खबर पर जाने वाले रिपोर्टर्स की जम कर क्लास लगाई गई। जो कवरेज के लिए नहीं पहुंचे थे उनकी तो और जमकर क्लास लगी। रिपोर्टर्स को अपनी गलती का अहसास हो रहा था लिहाजा एक के बाद एक न्यूज चैनल के रिपोर्टर्स का उसके गुफा में पहुंचने का तांता लग गया। गुफा वाकई हैरान कर देने वाली थी। सेक्स रैकेट चलाने वाले इस सरगना ने अपने काले धंधे पर पर्दा डालने के लिए भगवान की मूर्तियों का सहारा लिया था। तमाम देवी देवियों की मूर्तियों के पीछे एक छिपा हुआ दरवाजा था। अब भई अगर बाबा भीमानंद की नॉन स्टॉप कवरेज की जा रही है तो रिपोर्टस से उनके बॉस लोग ज्यादा से ज्यादा आउटपुट की भी डिमांड कर रहे थे।
पहले दिन बाबा के कमरे के अंदर कोई रिपोर्टर नहीं पहुंच पाया क्योंकि बाबा के कमरे पर ताला जड़ा हुआ था। कुछ चैनल्स पर तो बंद कमरा ही दिखाया गया लेकिन कुछ ने तो मंदिर के केयरटेकर के कमरे को ही बाबा का बेडरूम बना डाला। इतना ही नहीं एक न्यूज चैनल ने तो केयर टेकर के कमरे को बाबा के कमरा बता कर एक्सक्लूसिव बता डाला... दबा के चला बाबा का (फर्जी) कमरा।
मुंह में राम, बगल में लड़की वाला ये बाबा सितंबर 2010 में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए लड़कियों (कॉलगर्ल्स) की नई खेप तैयार करने में लगा हुआ था।
पुलिस सूत्रों के हिसाब से भीमानंद बाबा मॉडल, सीरियल्स और फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्रियां, एयर होस्टेस, कॉलेज गोइंग गर्ल्स की भर्ती में लगा हुआ था। पेइंग गेस्ट में रहने वाली लड़कियां उसकी गैंग की प्राथमिकता होती थीं। जैसा कि मैनें पहले ही बताया कि ढोंगी बाबा भीमानंद की गिरफ्तारी इसलिए बड़ी थी क्योंकि वो सबसे बड़ा सेक्स रैकेट चलाने वाला सरगना माना जा रहा है। दिल्ली में बड़े बड़े सेक्स रैकेट चलाने वाले सरगनाओं को दिल्ली पुलिस पहले पर्दाफाश कर चुकी है जैसे कंवलजीत, बॉबी छक्का, किरन मम्मी वगैरा वगैरा.... और इनकी शह पर काम संभालने वाली सोनू पंजाबन, अंकित धीर का भी खुलासा हो चुका है।
चैनल्स में इस खबर को प्राथमिकता दी जा रही थी। विजुअल मीडिया के लिए जो भी रिक्वायरमेंट होती है बाबा के विजुअल, बाबा के भजन गाने वाली सीडी, बाबा की बाइट,पुलिस की बाइट,कॉलगर्ल्स के विजुअल, रहस्यमयी गुफा के विजुअल वो सबकुछ इस स्टोरी में थी ही। लेकिन केवल रहस्यमयी गुफा कब तक चलेगी टीवी में लिहाजा कुछ रिपोर्टर्स ने बाबा का बाथरूम और टॉयलेट दिखाना शुरू कर दिया... कि बाबा इसी बाथरूम में नहाता था और... भगवान जाने टॉयलेट देखकर क्या बोला होगा उस रिपोर्टर ने। लेकिन माननी पड़ेगी उस चैनल की हिम्मत... ना सिर्फ बाबा का बाथरूम टॉयलेट दिखाया बल्कि शहद की शीशी दिखाकर ये तक कह डाला कि उस शीशी में ‘बाबा का शक्तिवर्धक तेल’ है।
इसी को कहते हैं गलाकाट रिपोर्टिंग। मीडिया ने एक के बाद एक बाबा के खुलासे किए। सीडी और फोटोग्राफ्स में बाबा के भक्त नेताओं के नाम का भी खुलासा किया। बाबा की डायरी में मिले पुलिसवालों के नाम का खुलासा किया... जैसे... लेकिन आखिर उस अंग्रेजी चैनल के रिपोर्टर का खुलासा क्यों नहीं किया जो बाबा की सीडी में भजन सुनते दिख रहा था। शायद उस रिपोर्टर का नाम इतना बड़ा ना हो या फिर वाकई बाबा अपने भाषाई जाल में अच्छे अच्छों को फंसाने में माहिर था चोहे वो नेता हो या रिपोर्टर या फिर आम आदमी।
सुनने में आया है कि एक चैनल के क्राइम रिपोर्टर्स को स्कूप(exclusive story) ढूंढने के लिए इतनी डांट पड़ी कि उन्होंने गुस्से में आकर बाबा के आश्रम को ही तहस नहस कर डाला। उन रिपोर्टर्स की शह पर स्थानीय लोगों ने बाबा के कमरे का दरवाजा तक तोड़ डाला। और अंदर रक्खी डायरियों को खंगालना शुरू कर दिया।

एक चैनल का रिपोर्टर तो इतना अधिक एक्सटाइटेड था कि बाबा की एक डायरी (जो कि एक केस प्रॉपर्टी है) को ही अपने ऑफिस तक उठा लाया। उसका मानना था कि वो अपने चैनल पर बाबा की डायरी दिखाकर टीवी में आग लगा डालेगा


एक चैनल का रिपोर्टर तो इतना अधिक एक्सटाइटेड था कि बाबा की एक डायरी (जो कि एक केस प्रॉपर्टी है) को ही अपने ऑफिस तक उठा लाया। उसका मानना था कि वो अपने चैनल पर बाबा की डायरी दिखाकर टीवी में आग लगा डालेगा(तहलका मचा देगा)। हालांकि बाद में उस चैनल के बॉस ने रिपोर्टर की जमकर डांट पिलाई तो वो वापस डायरी को वहीं रख आया। कुछ रिपोर्टर ने डायरी उठाई तो कुछ ने बाबा की फोटोग्राफ्स। अब जब रिपोर्टर ने ये सब कारस्तानी की है तो इलाके लोग क्यों चुप रहेंगे इलाके के लोगों ने भी बहती गंगा में हाथ धो डाला। बताते हैं कि बाबा के कमरे के कुछ सामान भी चोरी हो गए हैं। अब सबको बाबा के सीसीटीवी कैमरे में आ जाने का डर है। क्योंकि, बाबा के आश्रम में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और रिपोर्टर्स की सारे हरकतें उसमें कैद हो सकती हैं।
लेकिन इसमें गलती किसकी है... रिपोर्टर्स की... या उनके बॉसेस की या फिर पुलिसवालों की? जाहिर सी बात है रिपोर्टर ने अपनी गरिमा खोई है। रिपोर्टर का काम होता है कवरेज करना... लेकिन किसी के सामान की क्षति पहुंचाए बिना। संवाददाताओं को बिलकुल ऐसे काम नहीं करने चाहिए जिससे केस बिगड़े। अपनी तरफ से खबर नहीं बनाई जानी चाहिए।

लेकिन सबसे ज्यादा जवाबदेही पुलिस की बनती है। एक भी पुलिसवाला बाबा के आश्रम में क्यों नहीं तैनात किया गया? क्यों पुलिस ने केस प्रॉपर्टी यानि अहम डायरियों को अपनी तफ्तीश में शामिल नहीं किया? क्यों बाबा की रिमांड पुलिस ने पहले ही नहीं ली

लेकिन सबसे ज्यादा जवाबदेही पुलिस की बनती है। एक भी पुलिसवाला बाबा के आश्रम में क्यों नहीं तैनात किया गया? क्यों पुलिस ने केस प्रॉपर्टी यानि अहम डायरियों को अपनी तफ्तीश में शामिल नहीं किया? क्यों बाबा की रिमांड पुलिस ने पहले ही नहीं ली... मीडिया में इतनी खबर उछलने के बाद पुलिस को रिमांड लेने का ख्याल आया ! ये पुलिसवाले तब कहां थे जब बाबा का सेक्स रैकेट उनके इलाके में फलफूल रहा था?
लेकिन रिपोर्टर्स की जबर्दस्त कवरेज के चक्कर के आगे दिल्ली पुलिस को भी झुकना पड़ा। मजबूरन बाबा की 5 दिन का रिमांड लेनी पड़ी और अब ढोंगी बाबा भीमानंद पर मकोका (Maharashtra control of organized crime act) लगाना पड़ा। फर्जी बाबा भीमानंद करीब 13 सालों से दिल्ली के खानपुर इलाके में रहस्यमयी गुफा में रहता रहा। अपने पाप को अंजाम देता रहा। लेकिन पुलिस को कानों कान खबर नहीं लगी...ये बात हजम नहीं होती है। और वो भी तब जब बाबा कई बार पहले पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है... पहला 1997 में दिल्ली के ही लाजपत नगर में मसाज पार्लर की आड़ में जिस्मफरोशी के आरोप में पकड़ा गया। फिर दूसरी बार 2003 में नोएडा में सेक्स रैकेट के धंधे के चक्कर में पकड़ा गया। बावजूद इसके, 2003 से लेकर 2010 तक क्या दिल्ली पुलिस को बाबा की काली करतूत का पता नहीं चला? पिछले 7 सालों में बाबा ने अपने इस सेक्स रैकेट के धंधे को एक संगठित और कॉर्पोरेट तरीके से चलाना शुरू कर दिया था। करोड़ों रूपयों का स्वामी बन बैठा। बाबा के सेक्स रैकेट के अलावा कई धंधे हैं...वो एक सिक्योरिटी एंजेसी का मालिक है, चित्रकूट में 200 बिस्तर वाले हॉस्पिटल बनाने का प्रोजेक्ट था, खानपुर के मंदिर और आश्रम का मालिक, प्रॉपर्टी के बिजनेस से भी पैसे कमाता था। और सुनने में आया है कि वो अमेरिका के लॉसवेगास के किसी एनजीओ से भी 250 करोड़ रूपए ऐंठने वाला था।
हकीकत ये भी है कि अगर न्यूज चैनल्स के रिपोर्टर्स ने अपना ग्राउंड वर्क नहीं किया होता तो शायद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों तक को ये तक पता नहीं चलता कि राजीव रंजन द्विवेदी उर्फ शिवानंद उर्फ शिवा द्विवेदी उर्फ भीमानंद एक बहुत बड़ी मछली है। पुलिस ने प्रेस-कॉन्फ्रेंस करके ये इस धूर्त बाबा के बारे में बता तो दिया लेकिन अगर एक न्यूज चैनल बाबा की रहस्यमयी गुफा में सबसे पहले ना पंहुचता तो शायद पुलिस उसके ठिकाने पर कभी नहीं जाती।

11 comments:

  1. चैनलों के नकारात्मक और सकारात्मक पक्ष दोनों हैं.

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  2. मस्त पोस्टिंग,मजा आ गया ,सच ये है इतनी हाड तोड़ कोशिश के बावजूद कोई भी चैनल ,द्विवेदी और उसके बड़े पोलिटिकल संबंधों का खुलासा नहीं कर पाया |ख़बरों में मसाला ढूंढने का शगल तो समझ में आता है लेकिन इस फेर में कई बार हम कुछ छोटी मगर आम आदमी के सरोकार से जुडी ख़बरों की अनदेखी कर देते हैं ,ये उचित नहीं है ,आशा है आपको नियमित तौर पर पढ़ते रहेंगे ,हमारी शुभकामनायें |समय मिले तो www.katrane.blogspot.com पर आइये

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  3. "हकीकत ये भी है कि अगर न्यूज चैनल्स के रिपोर्टर्स ने अपना ग्राउंड वर्क नहीं किया होता तो शायद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों तक को ये तक पता नहीं चलता कि राजीव रंजन द्विवेदी उर्फ शिवानंद उर्फ शिवा द्विवेदी उर्फ भीमानंद एक बहुत बड़ी मछली है।"
    ग्राउन्द वर्क और चैनेल रिपोर्टर -?

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  4. beshak ye cainal apanee hadeM paar kar dete haiM magar aise maamale me ye sahee kiyaa nahee to polis se kyaa umeed kee jaaye jo in logoM ko pakaDane kee bajaaye aashray detee hai. धन्यवाद्

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  5. हमेशा की तरह शानदार पोस्ट.......
    प्रणव सक्सैना
    amitraghat.blogspot.com

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  6. Haqeekat byaan kari hai aapnay. Mubarakbaad.

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  7. बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने ।

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  8. आग बाबाओं को लगा देना। टी. वी. हमें दे देना भैया, हम आई. पी. एल. (छ्द्म बाबागिरी) देखेंगे उस पर, प्लीज़।

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  9. बात मे दम तो है।

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  10. बहुत स‌ही, पढ़कर कई फंडे क्लीयर हो गए। पर्दे के पीछे की जनकारी देने के लिए शुक्रिया। अच्छी पोस्ट के लिए बधाई।

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  11. aapne likha ki..2003 से लेकर 2010 तक क्या दिल्ली पुलिस को बाबा की काली करतूत का पता नहीं चला? पिछले 7 सालों में बाबा ने अपने इस सेक्स रैकेट के धंधे को एक संगठित और कॉर्पोरेट तरीके से चलाना शुरू कर दिया था।
    mera sawal hai ki ye bade bade news paper mai escorts . massage parlaur ke add aate hai .. jiska responce media ka kai .. police and politician bhi news padhte hai..even jitni space ka news paper rs 400/ charge karta hai wahi ye ad ka rs 3000/ charge karta hai...ye news paper wale bhi to sex recket ko badhwa dete hai....but sorry they r big machhli...media

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